Wednesday, 18 June 2014

नमस्ते, ये मेरा पहला लेख है, यात्रा बद्रीनाथ धाम आशीष सर और दिनेश शर्मा के साथ हमारी यात्रा सुरू होती है ०६/०६/२०१४ को, आज शाम आशीष सर ने मूझे फोन किया और कहा की मेरा साछात्कार है NIT उत्तराखंड में तोह हमें श्रीनगर उत्तराखंड चलना है। मैंने कहा की ठीक है सर पर आज मेरा डायरेक्टर के यहाँ फेयरवेल है उसके बाद चलते है, सर ने कहा ठीक है कोई बात नहीं खाना खाके अजा, जब में खाना खाके बापस आया तोह देखा की मेरे पास रूम की चावी नई है, जो की विनयक (मेरा रूम मेट) के पास रहा गयी थी, जब तक की  विनयक चावी देने आता तब तक डेल्ही मेट्रो सेबा बंद हो चुकी थी आब हमारी यात्रा सुरू हुई ऑटो से कश्मीरी गेट स्टेंड तक उसके बाद हमने उत्तर प्रदेश परिवन से हरिदृार तक की यात्रा की, हरिदृार में गंगा स्नान के बाद हमने श्रीनगर की यात्रा हमने NIT उत्तराखंड की बस से तय की  श्रीनगर में आशीष  सर ने अपना साछात्कार दिया और उस के बाद, हम आगे विशाल बद्रीनाथ यात्रा पर चल पड़े।

पहली सुबह बद्रीनाथ में आशीष सर के साथ। 

आशीष सर सुबह की धूप लेते हुऐ। 

दिनेश शर्मा बद्रीनाथ की ख़ुसूरती देखते हुऐ। 
सुबह उठकर हम लोग आगे मंदिर की ओर चाले और बद्रीनाथ के दर्शन किये। 
सुन्दर मदिर हमारे होटल के पास से। 

मंदिर  के सामने का नजारा। 

बद्रीनाथ मंदिर ।  
बद्रीनाथ के दर्शन के बाद हम उाहा आशीष सर के गुरू जी से मिले और आशिर्बाद प्राप्त किया और उसके बाद सर ने शाधु का रूप धारण किया। 
गुरू जी। 

सर शाधु  के रूप में। 

सर अन्य गुरू जी के साथ। 
उसे के बाद हमने धूपहर का खाना गुरू जी के आश्रम में प्रप्त किया और फिर हम भारत के अंतिम गांव की ओर चले और भारत के आखरी गांव माणा में सर ने उव्हन के बच्चों से भेंट की। 

माना। 


सर भारत के आखरी गांव माना  के बच्चों के साथ। 


प्राचीन भीम पुल की कथा ।
भीम पुल
सरस्वती जन्म स्थल 



भीम पुल को पर करते हुऐ हम लोगो ने बसुंधरा की यात्रा की जाहाँ सर के कुछ विदेशी भक्त मिले और सर ने उनके साथ ज्ञान बांटा।
बसुधार की  ओर प्रश्थान करते सर। 

विदेशी भक्तों से ज्ञान बांटते  सर। 

बसुधारा के कठीन मार्गों पर चलते सर और दिनेश शर्मा। 
अंतः  हम लोग बसुधारा तक पहुंच गए और ऊॅहासे सुन्दर नज़रों का आनंद लिया। 




बसुधारा 



दिनेश शर्मा 





आशीष सर 

आशीष सर 

सर आराम करते हुऐ। 


सर के साथ पानी लेते हुऐ  पीने के लिये। 
और अंत में जब हम गुरू जी के आश्रम बापस ए तोह गुरू जी ने कहा की जा मेरे बेटे जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करके समाज सेब कर जिसे की सरे समाझ का भला होगा। और हम सब ने  दिल्ली की बस पकड ली। 

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